पर्वत विशाल तो वन्दनीय हैं होते, जन मानस को नत्मस्तक करते |
अपने गर्भ मैं कितने ही रत्न समेट, जन-जीवन का आधार कह लाते |
हिम्पात को नित तन पर सह कर, निर्मल नदियों का सोत्र बन जाते |
बर्फीले तूफानों के थपेडों मैं डटकर, हमारे सीमाओं के प्रहरी कहलाते |
इन्ही कारणों से सब प्रभावित होकर, सपने शिखर पहुँचने के सँजोते |
रीति है पर्वतशिखर पर पताका फिराकर, जग वंदना के पात्र बनजाते ||
सागरमथ* की ऊँचाई पर बरफ जमी है, शिखर पर बस एकांत हैं पाते |
यह भी जानो तम से संघर्ष कर, पहाडों की छाँव मैं भी फूल हैं खिलते |
मुरझाये होटों की मुस्कान बनकर, कितने रिक्त आँखों मैं रंग भर देते |
असंख्य भवरों के मधु सोत्र बनकर, अभिमान के कभी शब्द ना आते |
राह मैं कितने ही कलियों को रौंद कर, शिखर की और सब होड़ लगाते |
क्या बूरा है अगर हम फूल ही बनकर, मुर्झाते हुए भी फल दे जाते ||
* - Mt. Everest
9 comments:
आपका अंदाज़ अनूठा है
fool to dil me bhee khil sakte hain. narayan narayan
उत्तम! ब्लाग जगत में पूरे उत्साह के साथ आपका स्वागत है। आपके शब्दों का सागर हमें हमेशा जोड़े रखेगा। कहते हैं, दो लोगों की मुलाकात बेवजह नहीं होती। मुलाकात आपकी और हमारी। मुलाकात यहां ब्लॉगर्स की। मुलाकात विचारों की, सब जुड़े हुए हैं।
नियमित लिखें। बेहतर लिखें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मिलते रहेंगे।
सागरमथ* की ऊँचाई पर बरफ जमी है, शिखर पर बस एकांत हैं पाते |
यह भी जानो तम से संघर्ष कर, पहाडों की छाँव मैं भी फूल हैं खिलते |
भावपूर्ण रचना. स्वागत.
(gandhivichar.blogspot.com)
स्वागत है ब्लागजगत में।
बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ati uttam
पंक्तियों, शब्दों, विचारों, के जगत में हार्दिक स्वागत आपका
आज की अंधी दौड़ के अनूठे विवरण के लिए शुक्रिया आपका
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