Wednesday, February 11, 2009

कुम्भकर्ण को पीछे छोडा

3 comments:

Sachin Jain said...

Kannan good one.............I also had same thoughts some year back........


भ्रष्टाचार के हम सब मारे, संस्कार हम भूले सारे,
बिजली चोरी करते हैं हम, टैक्स नहीं हम भरते हैं,
दिल नहीं करते हम न्योछावर अपने हिन्दुस्तान पर,
बस खून खौलता है अपना तो पडोसी पकिस्तान पर,

अनिल कान्त said...

बहुत खूब लिखा है सचमुच लोग एक लम्बी नीद में हैं ...

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Rohit Sharma said...

Chaa gaye kannan sir....Mast likha hai...
Really thats the situation. Atleast between people like us who only like discussing these things and then go back to their daily lives by saying Hum kya kar sakte hain?